॥ श्री सूर्य कवच स्तोत्रम् ॥
॥ Shri Surya Kavach Storram ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
॥ याज्ञवल्क्य उवाच ॥
श्रृणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ १॥
देदीप्यमानमुकुटं स्फुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत् ॥ २॥
शिरो मे भास्करः पातु ललाटं मेऽमितद्युतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥ ३॥
घ्राणं घर्मघृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कण्ठं मे सुरवन्दितः ॥ ४॥
स्कन्धौ प्रभाकरः पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वाङ्गं सकलेश्वरः ॥ ५॥
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥ ६॥
सुस्नातो यो जपेत्सम्यग्योऽधीते स्वस्थमानसः ।
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विन्दति ॥ ७॥
॥ इति श्री सूर्यकवचस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
13 Jun 2025 05:29:17 |
सूर्यास्त |
13 Jun 2025 19:32:00 |
चंद्रोदय |
13 Jun 2025 21:42:31 |
चंद्रस्थ |
14 Jun 2025 07:44:43 |
योग |
|
शुक्ल |
12 Jun 2025 14:04:51 से 13 Jun 2025 13:47:50 तक |
ब्रह्म |
13 Jun 2025 13:47:51 से 14 Jun 2025 13:12:42 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|