॥ श्री शुक्रकवचम् ॥
॥ Shri Shukra Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
ॐ अस्य श्रीशुक्रकवचस्तोत्रमन्त्रस्य भारद्वाज ऋषिः ।
अनुष्टुप्छन्दः । श्रीशुक्रो देवता ।शुक्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
मृणालकुन्देन्दुपयोजसुप्रभं पीताम्बरं प्रसृतमक्षमालिनम् ।
समस्तशास्त्रार्थविधिं महान्तं ध्यायेत्कविं वाञ्छितमर्थसिद्धये ॥ १॥
ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः ।
नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनद्युतिः ॥ २॥
पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः ।
वचनं चोशनाः पातु कण्ठं श्रीकण्ठभक्तिमान् ॥ ३॥
भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः ।
नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः ॥ ४॥
कटिं मे पातु विश्वात्मा उरू मे सुरपूजितः ।
जानुं जाड्यहरः पातु जङ्घे ज्ञानवतां वरः ॥ ५॥
गुल्फौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वराम्बरः ।
सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥ ६॥
य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः ।
न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥ ७॥
॥ इति श्री शुक्र कवचं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
25 Apr 2025 05:55:15 |
सूर्यास्त |
25 Apr 2025 19:02:06 |
चंद्रोदय |
25 Apr 2025 04:04:31 |
चंद्रस्थ |
25 Apr 2025 16:25:30 |
योग |
|
इन्द्र |
24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक |
वैधृति |
25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|