All Astrology Solutions

All Astrology Solutions

All Astrology Solutions
Shri Santoshi Mata Chalisa

॥ श्री सन्तोषी माता चालीसा ॥
॥ Shri Santoshi Mata Chalisa ॥

॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥

भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥

॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम । शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा । वेश मनोहर ललित अनुपा ॥

श्वेताम्बर रूप मनहारी । माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन । दर्शन से हो संकट मोचन ॥

जय गणेश की सुता भवानी । रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया । सब पर करो कृपा की छाया ॥

नाम अनेक तुम्हारे माता । अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे । को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥

धाम अनेक कहाँ तक कहिये । सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी । कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥

कलकत्ते में तू ही काली । दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती । भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥

ज्वाला जी में ज्वाला देवी । पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी । महा लक्श्मी तुम कल्याणी ॥

मदुरा में मीनाक्शी तुम हो । सुख दुख सबकी साक्शी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे । बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥

पावागढ़ में दुर्गा माता । अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता । अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥

सर्वानन्द करो कल्याणी । तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में । दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥

जेते ऋषि और मुनीशा । नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी । ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥

जापर कृपा तुम्हारी होती । वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता । ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥

जो जन तुम्हरी महिमा गावै । ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना । ताकी पूरण करो कामना ॥

कुमति निवारि सुमति की दात्री । जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन । जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥

गुड़ छोले का भोग लगावै । कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी । फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥

शक्ति-सामरथ हो जो धनको । दान-दक्शिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी । मनवांछित फल पावें भारी ॥

जो जन शरण तुम्हारी जावे । सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे । निश्चय मनवांछित वर पावै ॥

सधवा पूजा करे तुम्हारी । अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा । भवसागर से उतरे पारा ॥

जयति जयति जय सन्कट हरणी । विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी । वेगि खबर लो मात हमारी ॥

निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता । देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे । सो भवसागर से तर जावे ॥

॥ इति श्री सन्तोषी माता चालीसा सम्पूर्णम ॥

आज का पंचांग ( Thu 13 Mar 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • चतुर्दशी, 12 Mar 2025 09:12:12 से 13 Mar 2025 10:36:23 तक
  • पूर्णिमा, 13 Mar 2025 10:36:24 से 14 Mar 2025 12:24:39 तक

वार

गुरुवार

नक्षत्र

  • पूर्व फाल्गुनी, 13 Mar 2025 04:05:40 से 14 Mar 2025 06:19:36 तक
  • उत्तर फाल्गुनी, 14 Mar 2025 06:19:37 से 15 Mar 2025 08:54:16 तक

सूर्यौदय

13 Mar 2025 06:47:09

सूर्यास्त

13 Mar 2025 18:33:13

चंद्रोदय

13 Mar 2025 17:52:26

चंद्रस्थ

14 Mar 2025 06:40:45

योग

धृति

12 Mar 2025 13:00:00 से 13 Mar 2025 13:02:39 तक

शूल

13 Mar 2025 13:02:40 से 14 Mar 2025 13:23:26 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 13 Mar 2025 12:16:37 से 13 Mar 2025 13:03:41 तक

अमृत काल

  • 13 Mar 2025 23:18:40 से 14 Mar 2025 01:03:35 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 13 Mar 2025 05:11:00 से 13 Mar 2025 05:58:57 तक

अशुभ काल

राहू

  • 13 Mar 2025 14:08:24 से 13 Mar 2025 15:36:39 तक

यम गण्ड

  • 13 Mar 2025 06:47:09 से 13 Mar 2025 08:15:24 तक

कुलिक

  • 13 Mar 2025 09:43:39 से 13 Mar 2025 11:11:54 तक

दुर्मुहूर्त

  • 13 Mar 2025 10:42:29 से 13 Mar 2025 11:29:33 तक
  • 13 Mar 2025 15:24:53 से 13 Mar 2025 16:11:57 तक

वर्ज्यम्

  • 13 Mar 2025 12:49:40 से 13 Mar 2025 14:34:40 तक