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Shri Rudra Kavach

॥ श्री रुद्र कवचम् ॥
॥ Shri Rudra Kavach ॥

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥

॥ अथ श्री रुद्रकवचम् ॥
ॐ अस्य श्री रुद्र कवच स्तोत्र महा मंत्रस्य
दूर्वासऋषिः अनुष्ठुप् छंदः त्र्यंबक रुद्रो देवता
ह्राम् बीजम्श्रीम् शक्तिः ह्रीम् कीलकम्- मम
मनसोभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः
ह्रामित्यादिषड्बीजैः षडंगन्यासः ॥

॥ ध्यानम् ॥
शांतम् पद्मासनस्थम् शशिधरमकुटम्
पंचवक्त्रम् त्रिनेत्रम् शूलम् वज्रंच खड्गम्
परशुमभयदम् दक्षभागे महन्तम् ।
नागम् पाशम् च घंटाम् प्रळय हुतवहम्
सांकुशम् वामभागे नानालंकारयुक्तम्
स्फटिकमणिनिभम् पार्वतीशम् नमामि ॥

॥ दूर्वास उवाच ॥
प्रणम्य शिरसा देवम् स्वयंभु परमेश्वरम् ।
एकम् सर्वगतम् देवम् सर्वदेवमयम् विभुम् ।
रुद्र वर्म प्रवक्ष्यामि अंग प्राणस्य रक्षये ।
अहोरात्रमयम् देवम् रक्षार्थम् निर्मितम् पुरा ॥

रुद्रो मे जाग्रतः पातु पातु पार्श्वौहरस्तथा ।
शिरोमे ईश्वरः पातु ललाटम् नीललोहितः ।
नेत्रयोस्त्र्यंबकः पातु मुखम् पातु महेश्वरः ।
कर्णयोः पातु मे शंभुः नासिकायाम् सदाशिवः ॥

वागीशः पातु मे जिह्वाम् ओष्ठौ पात्वंबिकापतिः ।
श्रीकण्ठः पातु मे ग्रीवाम् बाहो चैव पिनाकधृत् ।
हृदयम् मे महादेवः ईश्वरोव्यात् स्सनान्तरम् ।
नाभिम् कटिम् च वक्षश्च पातु सर्वम् उमापतिः ॥

बाहुमध्यान्तरम् चैव सूक्ष्म रूपस्सदाशिवः ।
स्वरंरक्षतु मेश्वरो गात्राणि च यथा क्रमम्
वज्रम् च शक्तिदम् चैव पाशांकुशधरम् तथा ।
गण्डशूलधरान्नित्यम् रक्षतु त्रिदशेश्वरः ॥

प्रस्तानेषु पदे चैव वृक्षमूले नदीतटे संध्यायाम्
राजभवने विरूपाक्षस्तु पातु माम् ।
शीतोष्णा दथकालेषु तुहिनद्रुमकंटके ।
निर्मनुष्ये समे मार्गे पाहि माम् वृषभध्वज ॥

इत्येतद्द्रुद्रकवचम् पवित्रम् पापनाशनम् ।
महादेव प्रसादेन दूर्वास मुनिकल्पितम् ।
ममाख्यातम् समासेन नभयम् तेनविद्यते ।
प्राप्नोति परम आरोग्यम् पुण्यमायुष्यवर्धनम् ॥

विद्यार्थी लभते विद्याम् धनार्थी लभते धनम् ।
कन्यार्थी लभते कन्याम् नभय विन्दते क्वचित् ।
अपुत्रो लभते पुत्रम् मोक्षार्थी मोक्ष माप्नुयात् ।
त्राहि त्राहि महादेव त्राहि त्राहि त्रयीमय ॥

त्राहिमाम् पार्वतीनाथ त्राहिमाम् त्रिपुरंतकपाशम्
खट्वांग दिव्यास्त्रम् त्रिशूलम् रुद्रमेवच ।
नमस्करोमि देवेश त्राहिमाम् जगदीश्वर ।
शत्रु मध्ये सभामध्ये ग्राममध्ये गृहान्तरे ॥

गमनेगमने चैव त्राहिमाम् भक्तवत्सल ।
त्वम् चित्वमादितश्चैव त्वम् बुद्धिस्त्वम् परायणम् ।
कर्मणामनसा चैव त्वंबुद्धिश्च यथा सदा ।
सर्व ज्वर भयम् छिन्दि सर्व शत्रून्निवक्त्याय ॥

सर्व व्याधिनिवारणम् रुद्रलोकम् सगच्छति रुद्रलोकम् सगच्छत्योन्नमः ॥

॥ इति श्री रुद्र कवचम् सम्पूर्णम् ॥

आज का पंचांग ( Fri 25 Apr 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • द्वादशी, 24 Apr 2025 14:32:46 से 25 Apr 2025 11:45:11 तक
  • त्रयोदशी, 25 Apr 2025 11:45:12 से 26 Apr 2025 08:28:09 तक

वार

शुक्रवार

नक्षत्र

  • पूर्वभाद्रपदा, 24 Apr 2025 10:49:23 से 25 Apr 2025 08:53:37 तक
  • उत्तरभाद्रपदा, 25 Apr 2025 08:53:38 से 26 Apr 2025 06:27:15 तक

सूर्यौदय

25 Apr 2025 05:55:15

सूर्यास्त

25 Apr 2025 19:02:06

चंद्रोदय

25 Apr 2025 04:04:31

चंद्रस्थ

25 Apr 2025 16:25:30

योग

इन्द्र

24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक

वैधृति

25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 12:02:24 से 25 Apr 2025 12:54:51 तक

अमृत काल

  • 26 Apr 2025 02:07:38 से 26 Apr 2025 03:33:52 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 04:18:54 से 25 Apr 2025 05:06:51 तक

अशुभ काल

राहू

  • 25 Apr 2025 10:50:18 से 25 Apr 2025 12:28:39 तक

यम गण्ड

  • 25 Apr 2025 15:45:21 से 25 Apr 2025 17:23:42 तक

कुलिक

  • 25 Apr 2025 07:33:36 से 25 Apr 2025 09:11:57 तक

दुर्मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 08:32:36 से 25 Apr 2025 09:25:03 तक
  • 25 Apr 2025 12:54:51 से 25 Apr 2025 13:47:18 तक

वर्ज्यम्

  • 25 Apr 2025 17:30:38 से 25 Apr 2025 18:56:38 तक