॥ श्री केतु कवचम् ॥
॥ Shri Ketu Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
ॐ अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य त्र्यम्बक ॠषिः ।
अनुष्टुप्छन्दः । केतुर्देवता । कं बीजं । नमः शक्तिः ।
केतुरिति कीलकम् । केतुकृत पीडा निवारणार्थे,
सर्वरोगनिवारणार्थे, सर्वशत्रुविनाशनार्थे, सर्वकार्यसिद्ध्यर्थे,
केतुप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
॥ श्रीगणेशाय नमः ॥
केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।
प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥ १॥
चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।
पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥ २॥
घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।
पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः ॥ ३॥
हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।
सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥ ४॥
ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः ।
पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः ॥ ५॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।
सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयी भवेत् ॥ ६॥
॥ इति श्री केतु कवचं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
25 Apr 2025 05:55:15 |
सूर्यास्त |
25 Apr 2025 19:02:06 |
चंद्रोदय |
25 Apr 2025 04:04:31 |
चंद्रस्थ |
25 Apr 2025 16:25:30 |
योग |
|
इन्द्र |
24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक |
वैधृति |
25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|