॥ श्री गुरु स्तोत्र ॥
॥ Shri Guru Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
अथ गुरुस्तोत्रम्
बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः ।
लोकत्रयगुरुः श्रीमान्सर्वज्ञः सर्वकोविदः ॥ १॥
सर्वेशः सर्वदाऽभीष्टः सर्वजित्सर्वपूजितः ।
अक्रोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता गुरुः पिता ॥ २॥
विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः ।
भूर्भुवःसुवरों चैव भर्ता चैव महाबलः ॥ ३॥
पञ्चविंशतिनामानि पुण्यानि नियतात्मना ।
वसता नन्दभवने विष्णुना कीर्तितानि वै ॥ ४॥
यः पठेत् प्रातरुत्थाय प्रयतः सुसमाहितः ।
विपरीतोऽपि भगवान्प्रीतो भवति वै गुरुः ॥ ५॥
यश्छृणोति गुरुस्तोत्रं चिरं जीवेन्न संशयः ।
बृहस्पतिकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति ॥ ६॥
॥ इति श्री गुरु स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
मंगलवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
20 May 2025 05:35:14 |
सूर्यास्त |
20 May 2025 19:19:09 |
चंद्रोदय |
20 May 2025 01:00:10 |
चंद्रस्थ |
21 May 2025 13:02:45 |
योग |
|
इन्द्र |
20 May 2025 04:35:47 से 21 May 2025 02:50:12 तक |
वैधृति |
21 May 2025 02:50:13 से 22 May 2025 00:34:34 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|