॥ श्री गरुड कवचम् ॥
॥ Shri Garur Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
अस्य श्रीगरुडकवचस्तोत्रमन्त्रस्य नारद भगवान् ऋषिः
वैनतेयो देवता अनुष्टुप्छन्दः श्रीवैनतेयप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।
ॐ शिरो मे गरुडः पातु ललाटे विनितासुतः ।
नेत्रे तु सर्पहा पातु कर्णौ पातु सुराहतः ॥ १॥
नासिकां पातु सर्पारिः वदनं विष्णुवाहनः ।
सूर्येतालू च कण्ठे च भुजौ पातु महाबलः ॥ २॥
हस्तौ खगेश्वरः पातु कराग्रे तरुणाकृतिः ॥ ३॥
स्तनौ मे विहगः पातु हृदयं पातु सर्पहा ।
नाभिं पातु महातेजाः कटिं मे पातु वायुनः ॥ ४॥
ऊरू मे पातु उरगिरिः गुल्फौ विष्णुरथः सदा ।
पादौ मे तक्षकः सिद्धः पातु पादाङ्गुलींस्तथा ॥ ५॥
रोमकूपानि मे वीरो त्वचं पातु भयापहा ।
इत्येवं कवचं दिव्यं पापघ्नं सर्वकामदम् ॥ ६॥
यः पठेत्प्रातरुत्थाय विषदोषं न पश्यति ।
त्रिसन्ध्यं पठते नित्यं बन्धनात् मुच्यते नरः ।
द्वादशाहं पठेद्यस्तु मुच्यते सर्वकिल्विषैः ॥ ७॥
॥ इति श्री गरुड कवचं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
13 Jun 2025 05:29:17 |
सूर्यास्त |
13 Jun 2025 19:32:00 |
चंद्रोदय |
13 Jun 2025 21:42:31 |
चंद्रस्थ |
14 Jun 2025 07:44:43 |
योग |
|
शुक्ल |
12 Jun 2025 14:04:51 से 13 Jun 2025 13:47:50 तक |
ब्रह्म |
13 Jun 2025 13:47:51 से 14 Jun 2025 13:12:42 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|