All Astrology Solutions

All Astrology Solutions

All Astrology Solutions
Brahmaand Vijayee Shri Shiv Kavach

॥ ब्रह्माण्डविजय श्री शिव कवचम् ॥
॥ Brahmaand Vijayee Shri Shiv Kavach ॥

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥

॥ नारद उवाच ॥
शिवस्य कवचं ब्रूहि मत्स्य राजेन यद्धृतम् ।
नारायण महाभाग श्रोतुं कौतूहलं मम ॥ १॥

॥ श्रीनारायण उवाच ॥
कवचं शृणु विप्रेन्द्र शङ्करस्य महात्मनः ।
ब्रह्माण्ड विजयं नाम सर्वाऽवयव रक्षणम् ॥ २॥
पुरा दुर्वाससा दत्तं मत्स्यस्य राजाय धीमते ।
दत्वा षडक्षरं मन्त्रं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥ ३॥

स्थिते च कवचे देहे नास्ति मृत्युश्च जीविनाम् ।
अस्त्रेशस्त्रेजलेवह्नौ सिद्धिश्चेन्नास्ति संशयः ॥ ४॥
यद्धृत्वा पठनात् बाणः शिवत्वं प्रापलीलया ।
बभूव शिवतुल्यश्च यद्धृत्वा नन्दिकेश्वरः ॥ ५॥

वीरश्रेष्ठो वीरभद्रो साम्बोऽभूद् धारणाद्यतः ।
त्रैलोक्य विजयी राजा हिरण्यकशिपुः स्वयम् ॥ ६॥
हिरण्याक्षश्च विजयी चाऽभवद् धारणाद्धि सः ।
यद्धृत्वा पठनात् सिद्धो दुर्वासा विश्व पूजितः ॥ ७॥

जैगीषव्यो महायोगी पठनाद् धारणाद्यतः ।
यद्धृत्वा वामदेवश्च देवलः पवनः स्वयम् ॥ ८॥
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्चाऽभवत् विश्वपूजितः ॥ ९॥

॥ श्री शिव कवचम् ॥
ॐ नमः शिवायेति च मस्तकं मे सदाऽवतु ।
ॐ नमः शिवायेति च स्वाहा भालं सदाऽवतु ॥ १॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं शिवायेति स्वाहा नेत्रे सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं क्लीं हूं शिवायेति नमो मे पातु नासिकाम् ॥ २॥

ॐ नमः शिवाय शान्ताय स्वाहा कण्ठं सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं श्रीं हूं संसार कर्त्रे स्वाहा कर्णौ सदावतु ॥ ३॥
ॐ ह्रीं श्रीं पञ्चवक्त्राय स्वाहा दन्तं सदावतु ।
ॐ ह्रीं महेशाय स्वाहा चाऽधरं पातु मे सदा ॥ ४॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिनेत्राय स्वाहा केशान् सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं ऐं महादेवाय स्वाहा वक्षः सदाऽवतु ॥ ५॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं मे रुद्राय स्वाहा नाभिं सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं ऐं श्रीं श्रीं ईश्वराय स्वाहा पृष्ठं सदाऽवतु ॥ ६॥

ॐ ह्रीं क्लीं मृतुञ्जयाय स्वाहा भ्रुवौ सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ईशानाय स्वाहा पार्श्वं सदाऽवतु ॥ ७॥
ॐ ह्रीं ईश्वराय स्वाहा चोदरं पातु मे सदा ।
ॐ श्रीं ह्रीं मृत्युञ्जयाय स्वाहा बाहू सदाऽवतु ॥ ८॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ईश्वराय स्वाहा पातु करौ मम ।
ॐ महेश्वराय रुद्राय नितम्बं पातु मे सदा ॥ ९॥
ॐ ह्रीं श्रीं भूतनाथाय स्वाहा पादौ सदाऽवतु ।
ॐ सर्वेश्वराय शर्वाय स्वाहा पादौ सदाऽवतु ॥ १०॥

प्राच्यां मां पातु भूतेशः आग्नेय्यां पातु शङ्करः ।
दक्षिणे पातु मां रुद्रो नैॠत्यां स्थाणुरेव च ॥ ११॥
पश्चिमे खण्डपरशुर्वायव्यां चन्द्रशेखरः ।
उत्तरे गिरिशः पातु चैशान्यां ईश्वरः स्वयम् ॥ १२॥

ऊर्ध्वे मृडः सदा पातु चाऽधो मृत्युञ्जयः स्वयम् ।
जले स्थले चाऽन्तरिक्षे स्वप्ने जागरणे सदा ॥ १३॥
पिनाकी पातु मां प्रीत्या भक्तं वै भक्तवत्सलः ॥ १४॥

॥ फलश्रुतिः ॥
इति ते कथितं वत्स कवचं परमाऽद्भुतम् ॥ १५॥

दश लक्ष जपेनैव सिद्धिर्भवति निश्चितम् ।
यदि स्यात् सिद्ध कवचो रुद्र तुल्यो भवेद् ध्रुवम् ॥ १६॥
तव स्नेहान् मयाऽऽख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ।
कवचं काण्व शाखोक्तं अतिगोप्यं सुदुर्लभम् ॥ १७॥

अश्वमेध सहस्राणि राजसूय शतानि च ।
सर्वाणि कवचस्यास्य फलं नार्हन्ति षोडशीम् ॥ १८॥
कवचस्य प्रसादेन जीवन्मुक्तो भवेन्नरः ।
सर्वज्ञः सर्वसिद्धेशो मनोयायी भवेद् ध्रुवम् ॥ १९॥

इदं कवचं अज्ञात्वा भवेत् यः शङ्करप्रभुम् ।
शतलक्षं प्रजप्तोऽपि न मन्त्रः सिद्धिदायकः ॥ २०॥

॥ इति श्री ब्रह्माण्डविजय शिव कवचम् सम्पूर्णम् ॥

आज का पंचांग ( Fri 25 Apr 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • द्वादशी, 24 Apr 2025 14:32:46 से 25 Apr 2025 11:45:11 तक
  • त्रयोदशी, 25 Apr 2025 11:45:12 से 26 Apr 2025 08:28:09 तक

वार

शुक्रवार

नक्षत्र

  • पूर्वभाद्रपदा, 24 Apr 2025 10:49:23 से 25 Apr 2025 08:53:37 तक
  • उत्तरभाद्रपदा, 25 Apr 2025 08:53:38 से 26 Apr 2025 06:27:15 तक

सूर्यौदय

25 Apr 2025 05:55:15

सूर्यास्त

25 Apr 2025 19:02:06

चंद्रोदय

25 Apr 2025 04:04:31

चंद्रस्थ

25 Apr 2025 16:25:30

योग

इन्द्र

24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक

वैधृति

25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 12:02:24 से 25 Apr 2025 12:54:51 तक

अमृत काल

  • 26 Apr 2025 02:07:38 से 26 Apr 2025 03:33:52 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 04:18:54 से 25 Apr 2025 05:06:51 तक

अशुभ काल

राहू

  • 25 Apr 2025 10:50:18 से 25 Apr 2025 12:28:39 तक

यम गण्ड

  • 25 Apr 2025 15:45:21 से 25 Apr 2025 17:23:42 तक

कुलिक

  • 25 Apr 2025 07:33:36 से 25 Apr 2025 09:11:57 तक

दुर्मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 08:32:36 से 25 Apr 2025 09:25:03 तक
  • 25 Apr 2025 12:54:51 से 25 Apr 2025 13:47:18 तक

वर्ज्यम्

  • 25 Apr 2025 17:30:38 से 25 Apr 2025 18:56:38 तक