॥ भैरव जी की आरती ॥
॥ Bhairava Ji Ki Aarti ॥
जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ जय॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय॥
तुम बिन सेवा देवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन सबका दुःख खोवे ॥ जय॥
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।
कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी ॥ जय॥
पाव घूंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत ।
बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत ॥ जय॥
बटुकनाथ की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरणीधर नर मनवांछित फल पावे ॥ जय॥
॥ इति भैरव आरती सम्पूर्णम ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
25 Apr 2025 05:55:15 |
सूर्यास्त |
25 Apr 2025 19:02:06 |
चंद्रोदय |
25 Apr 2025 04:04:31 |
चंद्रस्थ |
25 Apr 2025 16:25:30 |
योग |
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इन्द्र |
24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक |
वैधृति |
25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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