॥ अमोघ शिव कवच ॥
॥ Amogh Shiv Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
॥ अथ विनियोग: ॥
अस्य श्री शिवकवच स्तोत्रमन्त्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः,
वृषभ ऋषिः,अनुष्टुप्छन्दः, श्री सदाशिवरुद्रो देवता,
ह्रीं शक्तिः,वं कीलकम्, श्रीं ह्रीं क्लीं बीजम्,
श्री सदाशिवप्रीत्यर्थे शिवकवचस्तोत्रजपे विनियोगः ॥
॥ करन्यास ॥
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ ह्रां
सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने अन्गुष्ठाभ्याम नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ नं रिं
नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने तर्जनीभ्याम नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ मं रूं
अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने मध्यमाभ्याम नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ शिं रैं
स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्याम नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ वां रौं
अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कनिष्ठिकाभ्याम नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ यं र:
अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्याम नम: ।
॥ अंगन्यास ॥
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ ह्रां
सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने हृदयाय नम: ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ नं रिं
नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने शिरसे स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ मं रूं
अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने शिखायै वषट ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ शिं रैं
स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने नेत्रत्रयाय वौषट ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ वां रौं
अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कवचाय हुम ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ यं र:
अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने अस्त्राय फट ।
॥ ध्यानम ॥
वज्रदंष्ट्रं त्रिनयनं कालकण्ठ मरिन्दमम् ।
सहस्रकरमत्युग्रं वन्दे शम्भुम् उमापतिम् ॥
रुद्राक्षकङ्कणलसत्करदण्डयुग्मः पालान्तरालसितभस्मधृतत्रिपुण्ड्रः ।
पञ्चाक्षरं परिपठन् वरमन्त्रराजं ध्यायन् सदा पशुपतिं शरणं व्रजेथाः ॥
अतः परं सर्वपुराणगुह्यं निःशेषपापौघहरं पवित्रम् ।
जयप्रदं सर्वविपत्प्रमोचनं वक्ष्यामि शैवम् कवचं हिताय ते ॥
॥ श्री शिव कवचम ॥
सकल-तत्त्वात्मकाय, आनन्द-सन्दोहाय, सर्व-मन्त्र-स्वरूपाय,
सर्व-यंत्राधिष्ठिताय, सर्व-तंत्र-प्रेरकाय,सर्व-तत्त्व-विदूराय,
सर्-तत्त्वाधिष्ठिताय, ब्रह्म-रुद्रावतारिणे,नील-कण्ठाय,
पार्वती-मनोहर-प्रियाय, महा-रुद्राय, सोम-सूर्याग्नि-लोचनाय,
भस्मोद्-धूलित-विग्रहाय, अष्ट-गन्धादि-गन्धोप-शोभिताय,
शेषाधिप-मुकुट-भूषिताय, महा-मणि-मुकुट-धारणाय,
सर्पालंकाराय, माणिक्य-भूषणाय, सृष्टि-स्थिति-प्रलय-
काल-रौद्रावताराय, दक्षाध्वर-ध्वंसकाय, महा-काल-भेदनाय,
महा-कालाधि-कालोग्र-रुपाय, मूलाधारैक-निलयाय ।
तत्त्वातीताय, गंगा-धराय, महा-प्रपात-विष-भेदनाय,
महा-प्रलयान्त-नृत्याधिष्ठिताय, सर्व-देवाधि-देवाय,
षडाश्रयाय, सकल-वेदान्त-साराय, त्रि-वर्ग-साधनायानन्त-
कोटि-ब्रह्माण्ड-नायकायानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोट-शङ्ख-
कुलिक-पद्म-महा-पद्मेत्यष्ट-महा-नाग-कुल-भूषणाय, प्रणव-
स्वरूपाय । ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः, हां हीं हूं हैं हौं हः ।
चिदाकाशायाकाश-दिक्स्वरूपाय, ग्रह-नक्षत्रादि-सर्व-प्रपञ्च-
मालिने, सकलाय, कलङ्क-रहिताय, सकल-लोकैक-कर्त्रे,
सकल-लोकैक-भर्त्रे, सकल-लोकैक-संहर्त्रे, सकल-लोकैक-
गुरवे, सकल-लोकैक-साक्षिणे, सकल-निगम-गुह्याय,
सकल-वेदान्त-पारगाय, सकल-लोकैक-वर-प्रदाय,
सकल-लोकैक-सर्वदाय, शर्मदाय, सकल-लोकैक-शंकराय ।
शशाङ्क-शेखराय, शाश्वत-निजावासाय, निराभासाय,निराभयाय,
निर्मलाय, निर्लोभाय, निर्मदाय, निश्चिन्ताय, निरहङ्काराय,
निरंकुशाय, निष्कलंकाय, निर्गुणाय,निष्कामाय, निरुपप्लवाय,
निरवद्याय, निरन्तराय, निष्कारणाय, निरातङ्काय, निष्प्रपंचाय,
निःसङ्गाय,निर्द्वन्द्वाय, निराधाराय, नीरागाय, निष्क्रोधाय, निर्मलाय,
निष्पापाय, निर्भयाय, निर्विकल्पाय, निर्भेदाय, निष्क्रियाय,निस्तुलाय,
निःसंशयाय, निरञ्जनाय, निरुपम-विभवाय, नित्य-शुद्ध-बुद्धि-परिपूर्ण-
सच्चिदानन्दाद्वयाय, ॐ हसौं ॐहसौः ह्रीम सौं क्षमलक्लीं क्षमलइस्फ्रिं
ऐंक्लीं सौः क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ।
परम-शान्त-स्वरूपाय, सोहं-तेजोरूपाय, हंस-तेजोमयाय,सच्चिदेकं ब्रह्म
महा-मन्त्र-स्वरुपाय, श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवते विश्व-गुरवे, स्मरण-मात्र-
सन्तुष्टाय, महा-ज्ञान-प्रदाय, सच्चिदानन्दात्मने महा-योगिने सर्व-काम-
फल-प्रदाय, भव-बन्ध-प्रमोचनाय,क्रों सकल-विभूतिदाय, क्रीं सर्व-विश्वाकर्षणाय ।
जय जय रुद्र, महा-रौद्र, वीर-भद्रावतार, महा-भैरव, काल-भैरव, कल्पान्त-
भैरव, कपाल-माला-धर, खट्वाङ्ग-खङ्ग-चर्म-पाशाङ्कुश-डमरु-शूल-चाप-
बाण-गदा-शक्ति-भिन्दिपाल-तोमर-मुसल-मुद्-गर-पाश-परिघ-भुशुण्डी-
शतघ्नी-ब्रह्मास्त्र-पाशुपतास्त्रादि-महास्त्र-चक्रायुधाय ।
भीषण-कर-सहस्र-मुख-दंष्ट्रा-कराल-वदन-विकटाट्ट-हास-विस्फारित
ब्रह्माण्ड-मंडल नागेन्द्र-कुण्डल नागेन्द्र-हार,नागेन्द्र-वलय नागेन्द्र-चर्म-
धर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक, त्रिपुरान्तक विश्व-रूप विरूपाक्ष विश्वम्भर विश्वेश्वर
वृषभ-वाहन वृष-विभूषण, विश्वतोमुख, सर्वतो रक्ष रक्ष,ज्वल ज्वल प्रज्वल
प्रज्वल स्फुर स्फुर आवेशय आवेशय, ममहृदये प्रवेशय प्रवेशय, प्रस्फुर प्रस्फुर ।
महा-मृत्युमप-मृत्यु-भयं नाशय-नाशय, चोर-भय-मुत्सादयोत्सादय, विष-सर्प-
भयं शमय शमय, चोरान् मारय मारय, मम शत्रुनुच्चाट्योच्चाटय, मम क्रोधादि-
सर्व-सूक्ष्म-तमात् स्थूल-तम-पर्यन्त-स्थितान् शत्रूनुच्चाटय, त्रिशूलेनविदारय
विदारय, कुठारेण भिन्धि भिन्धि, खड्गेन छिन्धि छिन्धि, खट्वांगेन विपोथय
विपोथय, मुसलेन निष्पेषयनिष्पेषय, वाणैः सन्ताडय सन्ताडय,रक्षांसि भीषय
भीषय,अशेष-भूतानि विद्रावय विद्रावय, कूष्माण्ड-वेताल-मारीच-गण-ब्रह्म-राक्षस-
गणान् संत्रासय संत्रासय, सर्व-रोगादि-महा-भयान्ममाभयं कुरु कुरु, वित्रस्तं
मामाश्वासयाश्वासय, नरक-महा-भयान्मामुद्धरोद्धर, सञ्जीवय सञ्जीवय,
क्षुत्-तृषा-ईर्ष्यादि-विकारेभ्यो मामाप्याययाप्यायय
दुःखातुरंमामानन्दयानन्दय शिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादय ।
मृत्युञ्जय त्र्यंबक सदाशिव ! नमस्ते नमस्ते, शं ह्रीं ॐ ह्रों ।
ॐ ॥ इति अमोघ शिव कवचं सम्पूर्णम् ॥ ॐ
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
25 Apr 2025 05:55:15 |
सूर्यास्त |
25 Apr 2025 19:02:06 |
चंद्रोदय |
25 Apr 2025 04:04:31 |
चंद्रस्थ |
25 Apr 2025 16:25:30 |
योग |
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इन्द्र |
24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक |
वैधृति |
25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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