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Alabhya Shri Gayatri Kavach

॥ अलभ्य श्री गायत्री कवचम् ॥
॥ Alabhya Shri Gayatri Kavach ॥

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥

॥ विनियोगः ॥
ॐ अस्य श्रीगायत्रीकवचस्य ब्रह्माविष्णुरुद्राः ऋषयः ।
ऋग्यजुःसामाथर्वाणि छन्दांसि । परब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री देवता ।
भूः बीजम् । भुवः शक्तिः । स्वः कीलकम् । var सुवः कीलकम् ।
चतुर्विंशत्यक्षरा श्रीगायत्रीप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

॥ ध्यानं ॥
वस्त्राभां कुण्डिकां हस्तां, शुद्धनिर्मलज्योतिषीम् ।
सर्वतत्त्वमयीं वन्दे, गायत्रीं वेदमातरम् ॥

मुक्ताविद्रुमहेमनीलधवलैश्छायैः मुखेस्त्रीक्षणैः ।
युक्तामिन्दुनिबद्धरत्नमुकुटां तत्त्वार्थवर्णात्मिकाम् ॥

गायत्रीं वरदाभयाङ्कुशकशां शूलं कपालं गुणैः ।
शङ्खं चक्रमथारविन्दयुगलं हस्तैर्वहन्तीं भजे ॥

॥ कवच पाठः ॥
ॐ ॐ ॐ ॐ भूः ॐ ॐ भुवः ॐ ॐ स्वः ॐ ॐ त
ॐ ॐ त्स ॐॐ वि ॐ ॐ तु ॐ ॐ र्व ॐ ॐ रे
ॐ ॐ ण्यं ॐ ॐ भ ॐ ॐ र्गो ॐॐ दे ॐ ॐ व
ॐ ॐ स्य ॐ ॐ धी ॐ ॐ म ॐ ॐ हि ॐ ॐ धि
ॐॐ यो ॐ ॐ यो ॐ ॐ नः ॐ ॐ प्र ॐ ॐ चो
ॐ ॐ द ॐॐ या ॐ ॐ त् ॐ ॐ ।
ॐ ॐ ॐ ॐ भूः ॐ पातु मे मूलं चतुर्दलसमन्वितम् ।
ॐ भुवः ॐ पातु मे लिङ्गं सज्जलं षट्दलात्मकम् ।
ॐ स्वः ॐ पातु मे कण्ठं साकाशं दलषोडशम् । सुवः
ॐ त ॐ पातु मे रूपं ब्राह्मणं कारणं परम् ।
ॐ त्स ॐ ब्रह्मरसं पातु मे सदा मम ।
ॐ वि ॐ पातु मे गन्धं सदा शिशिरसंयुतम् ।
ॐ तु ॐ पातु मे स्पर्शं शरीरस्य कारणं परम् ।
ॐ र्व ॐ पातु मे शब्दं शब्दविग्रहकारणम् ।
ॐ रे ॐ पातु मे नित्यं सदा तत्त्वशरीरकम् ।
ॐ ण्यं ॐ पातु मे अक्षं सर्वतत्त्वैककारणम् ।
ॐ भ ॐ पातु मे श्रोत्रं शब्दश्रवणैककारणम् ।
ॐ र्गो ॐ पातु मे घ्राणं गन्धोत्पादानकारणम् ।
ॐ दे ॐ पातु मे चास्यं सभायां शब्दरूपिणीम् ।
ॐ व ॐ पातु मे बाहुयुगलं च कर्मकारणम् ।
ॐ स्य ॐ पातु मे लिङ्गं षट्दलयुतम् ।
ॐ धी ॐ पातु मे नित्यं प्रकृति शब्दकारणम् ।
ॐ म ॐ पातु मे नित्यं नमो ब्रह्मस्वरूपिणीम् ।
ॐ हि ॐ पातु मे बुद्धिं परब्रह्ममयं सदा ।
ॐ धि ॐ पातु मे नित्यमहङ्कारं यथा तथा ।
ॐ यो ॐ पातु मे नित्यं जलं सर्वत्र सर्वदा ।
ॐ यो ॐ पातु मे नित्यं जलं सर्वत्र सर्वदा ।
ॐ नः ॐ पातु मे नित्यं तेजःपुञ्जो यथा तथा ।
ॐ प्र ॐ पातु मे नित्यमनिलं कायकारणम् ।
ॐ चो ॐ पातु मे नित्यमाकाशं शिवसन्निभम् ।
ॐ द ॐ पातु मे जिह्वां जपयज्ञस्य कारणम् ।
ॐ यात् ॐ पातु मे नित्यं शिवं ज्ञानमयं सदा ।
ॐ तत्त्वानि पातु मे नित्यं, गायत्री परदैवतम् ।
कृष्णं मे सततं पातु, ब्रह्माणि भूर्भुवः स्वरोम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।

ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममाराती यतो निदहाति वेदाः ।
स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वा नावेवं सिन्धुं दुरितात्यग्निः ।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वारिकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

ॐ नमस्ते तुरीयाय सर्शिताय पदाय परो रजसेऽसावदों मा प्रापत ॥

॥ इति श्री कवचं गायत्री सम्पूर्णा ॥

आज का पंचांग ( Fri 25 Apr 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • द्वादशी, 24 Apr 2025 14:32:46 से 25 Apr 2025 11:45:11 तक
  • त्रयोदशी, 25 Apr 2025 11:45:12 से 26 Apr 2025 08:28:09 तक

वार

शुक्रवार

नक्षत्र

  • पूर्वभाद्रपदा, 24 Apr 2025 10:49:23 से 25 Apr 2025 08:53:37 तक
  • उत्तरभाद्रपदा, 25 Apr 2025 08:53:38 से 26 Apr 2025 06:27:15 तक

सूर्यौदय

25 Apr 2025 05:55:15

सूर्यास्त

25 Apr 2025 19:02:06

चंद्रोदय

25 Apr 2025 04:04:31

चंद्रस्थ

25 Apr 2025 16:25:30

योग

इन्द्र

24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक

वैधृति

25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 12:02:24 से 25 Apr 2025 12:54:51 तक

अमृत काल

  • 26 Apr 2025 02:07:38 से 26 Apr 2025 03:33:52 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 04:18:54 से 25 Apr 2025 05:06:51 तक

अशुभ काल

राहू

  • 25 Apr 2025 10:50:18 से 25 Apr 2025 12:28:39 तक

यम गण्ड

  • 25 Apr 2025 15:45:21 से 25 Apr 2025 17:23:42 तक

कुलिक

  • 25 Apr 2025 07:33:36 से 25 Apr 2025 09:11:57 तक

दुर्मुहूर्त

  • 25 Apr 2025 08:32:36 से 25 Apr 2025 09:25:03 तक
  • 25 Apr 2025 12:54:51 से 25 Apr 2025 13:47:18 तक

वर्ज्यम्

  • 25 Apr 2025 17:30:38 से 25 Apr 2025 18:56:38 तक