॥ आरती श्री विन्ध्येश्वरी जी की ॥
॥ Aarti Shri Vindheshvari Ji Ki ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया ॥ टेक.॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तरी भेंट चढ़ाया । सुन.।
सुवा चोली तेरे अंग विराजे केसर तिलक लगाया । सुन.।
नंगे पग अकबर आया सोने का छत्र चढ़ाया । सुन.।
उँचे उँचे पर्वत भयो दिवालो नीचे शहर बसाया । सुन.।
कलियुग द्वापर त्रेता मध्ये कलियुग राज सबाया । सुन.।
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया । सुन.।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया । सुन.।
॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी आरती सम्पूर्णम ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
गुरुवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
12 Jun 2025 05:29:15 |
सूर्यास्त |
12 Jun 2025 19:31:37 |
चंद्रोदय |
12 Jun 2025 20:54:27 |
चंद्रस्थ |
13 Jun 2025 06:43:18 |
योग |
|
शुभ |
11 Jun 2025 14:03:41 से 12 Jun 2025 14:04:50 तक |
शुक्ल |
12 Jun 2025 14:04:51 से 13 Jun 2025 13:47:50 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|