॥ आरती श्री विन्ध्येश्वरी जी की ॥
॥ Aarti Shri Vindheshvari Ji Ki ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया ॥ टेक.॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तरी भेंट चढ़ाया । सुन.।
सुवा चोली तेरे अंग विराजे केसर तिलक लगाया । सुन.।
नंगे पग अकबर आया सोने का छत्र चढ़ाया । सुन.।
उँचे उँचे पर्वत भयो दिवालो नीचे शहर बसाया । सुन.।
कलियुग द्वापर त्रेता मध्ये कलियुग राज सबाया । सुन.।
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया । सुन.।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया । सुन.।
॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी आरती सम्पूर्णम ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
25 Apr 2025 05:55:15 |
सूर्यास्त |
25 Apr 2025 19:02:06 |
चंद्रोदय |
25 Apr 2025 04:04:31 |
चंद्रस्थ |
25 Apr 2025 16:25:30 |
योग |
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इन्द्र |
24 Apr 2025 15:55:40 से 25 Apr 2025 12:30:39 तक |
वैधृति |
25 Apr 2025 12:30:40 से 26 Apr 2025 08:41:29 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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